Festivals of India
Happy Holi 2023
इस वर्ष होली का त्योहार
होलिका दहन 7 मार्च मंगलवार
रंगो की होली 8 मार्च बुधवार
We wish you all Happy Holi, from https://priyadasi.blogspot.com/
होली का त्योहार जो अब तक हमारे इंडिया में उल्लास के साथ खेला जा रहा था अब विदेशों में भी धूम मचाने लगा है।
होली का त्योहार जो अब तक हमारे इंडिया में उल्लास के साथ खेला जा रहा था अब विदेशों में भी धूम मचाने लगा है।
होली क्यों मनाई जाती है..
हिरणाक्ष और हिरण्यकश्यप राक्षस
वंश के दो शक्तिशाली राजा थे। हिरणाक्ष अपने अहंकार के कारण भगवान के हाथों मारा
जाता है। हिरणकशिपु इससे अत्यन्त क्रोधित होता है और अपने भाई के वध का प्रतिशोध
लेना चाहता है। इसी उद्देश्य से उसने कई हजार वर्षों तक कठिन तपस्या की और ब्रह्मा
जी को प्रसन्न कर अमरता का वर माँगा जिसे ब्रह्माजी ने अस्वीकार कर दिया। तब
हिरणकशिपु ने एक विचित्र वर माँगा।
न मैं दिन में मरूँ न रात में, न घर के अंदर न बाहर, न अस्त्र से न शस्त्र से, न नर से न पशु से मेरी मृत्यु
हो।
ब्रह्मा जी ने कहा-तथास्तु। और
हिरणकशिपु अपने आपको अमर समझने लगा क्योंकि वास्तव में सारी पृथ्वी में इसप्रकार
का कोई था ही नहीं जो उसे मार सके। उसके अत्याचार बढने लगे।
भगवान की विचित्र लीला है, उस आततायी राक्षस के घर में
जन्म लेता है एक परम भक्त- प्रहृलाद। भक्त प्रह्लाद। जिसे विष्णु के अतिरिक्त कोई
अच्छा लगता ही नहीं। जो अपने पिता को अपना वैर त्यागकर विष्णु की शरण ग्रहण करने
की प्रार्थना करता है। हिरणकशिपु अनेक प्रयत्न करता है उसे मार डालने के। किन्तु
सब व्यर्थ।
जाको राखे साईंयाँ मार सके न
कोय।
प्रहृलाद चरित्र एसा सुन्दर है
वर्णन करने में कि लगता हे कि बस उस नन्हें से भक्त को बस देखते ही रहो उसकी बातें
सुनते ही रहो। पाँच वर्ष का नन्हा बालक किन्तु उसका भगवान के प्रति विश्वास इतना
दृढ कि बडी-बडी चट्टानों से टकरा कर भी टूटा।
लीजिये प्रहृलाद जी के चरित्र
के वर्णन में होली का प्रसंग बीत में ही रह गया...
होलिका
तो जब हिरण्यकशिपु अनेक प्रयास
करके थक गया तब नाराज हिरणकशिपु ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया।
उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए
क्योंकि होलिका को अग्नि देव से एक चमत्कारी वरदान प्राप्त था कि वह आग में जल
नहीं सकती थी। उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो
सकी क्योंकि भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर
राख हो गई।
भक्त प्रहृलाद और होलिका |
होलिका की यह हार बुराई पर
अच्छाई की विजय का प्रतीक है। और इस बुराई के नष्ट हो जाने, जल जाने की खुशी में
ही हम होलिका जला कर और एक दूसरे पर रंग डालकर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करते हैं।
जब हिरणकशिपु ने देखा कि
प्रह्लाद को मारना किसी के लिये भी संभव नहीं है तो वह स्वयं उसे मारने को उद्धत
हुआ।
उसने कहा बुलाओ अपने विष्णु को
अपनी रक्षा के लिये।
प्रह्लाद ने कहा-उन्हें बुलाना
नहीं पड़ता वे तो हर जगह हैं।
क्या मुझ जैसे राक्षस के महल
में भी ।
हाँ।
इस खंभे में भी ।
हाँ।
हिरण्यकशिपु ने क्रोधित होकर
अपनी गदा से खम्बे पर प्रहार किया और...नरसिंह भगवान प्रकट हो गये। जैसा उसने
वरदान माँगा था बिलकुल वैसे ही-आधा नर-आधा पशु।
नरसिंह भगवान
नरसिंह भगवान |
जब भगवान विष्णु उसके कथन को सत्य करते हुए खम्भे से प्रकट हुए तो सारे राक्षसों के साथ देवगण भी भगवान का यह विकराल भयंकर रूप देखकर भयभीत हो गये। किन्तु बालक प्रहृलाद को उनसे तनिक भी डर ना लगा। भगवान ने उसे अपनी हथेली में उठा कर प्यार किया।
नरसिंह भगवान की गोद में भक्त प्रहृलाद |
बसंतोत्सव
प्राचीनकाल
से ही भारत में बसंतोत्सव मनाया जाता है। जब फसल पक जाती है चारों ओर खुशहाली होती
है लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर बसंतोत्सव मनाते हैं।
Rang-Gulal-Abir |
वैसे तो होली हर उम्र के लोगों को पसंद है पर बच्चे इसे बड़े उत्साह के साथ खेलते हैं...
आप सभी को होली की शुभकामनायें.....
होली है...होली है...होली है....
Wish you all Happy Holi
we will reveal another interesting story of HOLI soon....
Comments
Post a Comment