Festivals of India,छोटी होली, होलिका दहन, डोल पूर्णिमा, गौराँग महाप्रभु जयंति


Festivals of India

छोटी होली, होलिका दहन, डोल पूर्णिमा, गौराँग महाप्रभु जयंति


होली के पर्व के दो भाग हैं पहले दिन होलिका दहन किया जाता है इसे छोटी होली कहते हैं, और दूसरे दिन रंगो की होली खेली जाती है। इसे बडी होली या होली कहते हैं। 

डोल पूर्णिमा एवं गौराँग जयंति

छोटी होली का पर्व बडे उल्लास के साथ भारत के विभन्न भागों में मनाया जाता है। बंगाल, उडीसा, आसाम में इसे डोल पूर्णिमा एवं गौराँग जयंति के नाम से मनाया जाता है। तथा उत्तर भारत में इसे छोटी होली के नाम से मनाया जाता है।
छोटी होली यानी होलिका दहन की कहानी हमने इसके पूर्व पोस्ट में बताई है।
इसे डोल पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है। यह पर्व बंगाल, उडीसा, आसाम आदि क्षेत्रों में बडे उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह एक वैष्णव पर्व है भक्तजन इस दिन श्रीकृष्ण को सजी हुई पालकी में लेकर उन्हें रंग-गुलाल लगाकर एवं रंग-गुलाल खेलते हुए नगर में घुमाया जाता है। एक तरह से इसे होली की शुरुवात मानी जा सकती है।
Dol yatra
Dol yatra
दोल जात्रा या दोल उत्सव बंगाल में होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ लाल किनारी वाली पारंपरिक सफ़ेद साड़ी पहन कर शंख बजाते हुए राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं और प्रभात-फेरी (सुबह निकलने वाला जुलूस) का आयोजन करती हैं। इसमें गाजे-बाजे के साथ, कीर्तन और गीत गाए जाते हैं। दोल शब्द का मतलब झूला होता है। झूले पर राधा-कृष्ण की मूर्ति रख कर महिलाएँ भक्ति गीत गाती हैं और उनकी पूजा करती है।
dol purnima
Rangotsav
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को अर्थात् होली की पूर्वसन्ध्या को ही गौराँग महाप्रभु का जन्म हुआ था। अतः होली के एक दिन पूर्व हम गौराँग जयंति मनाते हैं।
चैतन्य महाप्रभु का जन्म आज से 600 वर्ष पूर्व पश्चिम बंगाल के नवद्वीप गांव में हुआ, जिसे अब मायापुर कहा जाता है। बचपन में सभी इन्हें निमाई पुकारा करते थे। गौरवर्ण का होने के कारण लोग इन्हें गौरांग, गौर हरि, गौर सुंदर भी कहा करते थे।
Nitai-Nimai
Nitai-Nimai


गौराँग महाप्रभु ने मात्र 24 वर्ष की आयु में सन्यास ग्रहण किया। श्री कृष्ण चैतन्य इनके सन्यास का नाम है। इन्होंने हरिनाम प्रचार का महान कार्य आरम्भ किया। आज जो हम हरे नाम महामंत्र गान करते हैं यह विश्व को श्री चैतन्य महाप्रभु की ही देन है।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
श्री चैतन्य महाप्रभु ने लुप्त वृन्दावन को पुनर्जीवित किया और वृन्दावन के लुप्त लीलास्थलियों को खोज कर यह स्वरूप प्रदान किया जो आज हम देखते हैं। उन्होंने यह कार्य अपने महान शिष्यों द्वारा करवाया जिन्हें हम षडगोस्वामी के नाम से जानते हैं।

Vrindavan



shad goswami
shad Goswami


आप सभी को होली की शुभकामनायें.....


होली है...होली है...होली है....






Wish you all Happy Holi


HOLI HAI... HAOLI HAI... HOLI HAI...



we will reveal another interesting story of HOLI soon....








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