आओ होली खेलें Lets Celebrate Holi
हैलो दोस्तों मैं आप सब को यहा मनाये जाने वाले त्योहारों के बारे में
इंटरेस्टिंग जानकारी दूँगा।
कुछ ही दिनों में हम भारत
का एक महत्वपूर्ण फेस्टिवल होली मनाने वाले हैं-
होली कब मनाई जाती है When does Holi festival celebrated?
होली मार्च के महीने में
मनाई जाती है। हिन्दी कैलेंडर के हिसाब से यह फागुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है।
इसे बसंत उत्सव भी कहते हैं
वर्ष 2023 में होली की तिथि Holi dates in year 2023
इस वर्ष यह तिथि आ रही है- 8 मार्च को।
होली एक मौज मस्ती वाला त्योहार
है। इसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं। होली के रंगों में ऐसा जादू है कि लोग अपनी
पुरानी खटपट या झगड़ा भुलाकर फिर से मिल जाते हैं।
रंगों का त्योहार- होली |
होली क्यों मनाई जाती है Why Does Holi celebrated?
होलिका दहन कब और क्यों मनाया जाता है When and Why Does Holi festival Celebrated?
होलिका दहन और होली के पीछे की कहानी Story behind Holika Dahan
होली के एक दिन पहले छोटी
होली या होलिका दहन होता है। और दूसरे दिन रंगों और गुलाल से होली खेली जाती है।
होलिका दहन तिथि 2023- 7 मार्च 2023
होलिका दहन और होली के पीछे
की कहानी
सत् युग में इस पृथ्वी पर
एक शक्तिशाली दानव राज्य करता था- हिरण्यकशिपु। उसने कठिन तपकर ब्रह्मा जी
को प्रसन्न कर यह वरदान पाया कि वह न किसी मनुष्य के द्वारा मारा जा सकेगा न पशु
द्वारा, न दिन में मरेगा न रात में, न घर के अंदर मरेगा और न बाहर, न धरती पर
मरेगा और ना आकाश में। इस वरदान को पाकर वह स्वयं को अमर समझने लगा और तीनों लोकों
में आतंक मचाने लगा। उसने इंद्र का सिंहासन छीन लिया, मृत्यु लोक में ऋषि और
तपस्वियों को प्रताड़ना देने लगा। उसने विष्णु की उपासना बंद करवा दी। वह चाहता था
लोग उसे ही भगवान मानकर उसकी पूजा करें।
हिरण्यकशिपु का पुत्र
प्रह्लाद भगवान विष्णु का महान भक्त था। पिता के द्वारा अनेक यातना एवं प्रताड़ना देने पर भी वह
भगवान विष्णु की उपासना करता रहा। अंततः हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से कहा कि
वह प्रह्लाद को गोद में लेकर जलती अग्नि में बैठ जाये, होलिका को यह वरदान था कि
वह अग्नि में नहीं जलेगी।
होलिका ने ऐसा ही किया पर
प्रह्लाद का बाल भी बाँका न हुआ और होलिका जल गई।
होलिका दहन का दृश्य
भगवान नरसिंह का अवतार Incarnation of Lord Narsimha
अंतिम प्रयास करते हुए
स्वयं हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया। भक्त प्रह्लाद की रक्षा
करने हेतु भगवान विष्णु उसके महल के एक खंभे (स्तंभ) से नरसिंह (आधा सिंह आधा
मानव) रूप में प्रकट हुए और गोधूलि बेला में (ना दिन में ना रात में) उसे महल की
चौखट पर (घर के अंदर ना बाहर) अपनी गोद में लेकर (न धरती पर ना आकाश में) अपने तेज
नाखूनों से (न किसी अस्त्र से ना शस्त्र से) मार दिया।
भगवान नरसिंह |
इसप्रकार हिरण्यकशिपु अनेक
वरदानों के बावजूद अपने दुष्कर्मों के कारण मारा गया।
होलिका भी अग्नि देव द्वारा
प्राप्त वरदान का दुरुपयोग करने के कारण मारी गई।
भक्त प्रह्लाद की रक्षा
हुई। भगवान की यह वाणी कि मैं सदा अपने भक्त की रक्षा करता हूँ प्रमाणित हुई।
और इसी प्रसन्नता को प्रकट
करते हुए होली के रंग-बिरंगे रंग और गुलाल लगाये जाते हैं।
होलिका दहन में प्रतीकात्मक
रूप से सारी बुराईयों और नकारात्मक शक्तियों को जलाया जाता है।
ब्रज की होली Holi Celebration in Braj
होली का वर्णन द्वापर युग
में ब्रज में भी देखने को मिलता है जहाँ श्रीकृष्ण और श्रीराधा अपने सखाओं और
सखियों के संग धूमधाम से होली खोलते हैं। बरसाने की होली बेहद प्रसिद्ध है।
ब्रज की होली |
होली के सारे दिन सभी होली
खेलते हैं। लोग एक- दूसरे पर रंग डालते हैं। तरह-तरह के भेष बनाते हैं, हँसते और हंसाते हैं।
इस अवसर पर होली मिलन,
हास्य सम्मेलन आदि का आयोजन भी होता है जहाँ सभी एक साथ मिलते हैं और हँसी- मजाक
कर आनन्द लुटाते हैं। और चारों ओर केवल एक ही आवाज़ सुनाई पड़ती है-
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