world-famous Barsane ki Holi, Braj ki Holi
प्रसिद्ध ब्रज की होली, बरसाने की होली, ब्रज की होली रसिया, बृजेश की होली, आज के रसिया, आज बिरज में होली रे रसिया, वीर की होली, मथुरा की हो
ब्रज की होली, होली का एक पवित्रतम रूप माना जाता है। यह आरम्भ हुआ द्वापर युग से जब श्रीकृष्ण अपने सखाओं के संग ब्रज की गलियों में, श्री राधा तथा अपनी सखियों संग बड़ी धूमधाम से रंगों की होली खेलते थे।
इस होली का वर्णन सुनकर आपको बडा ही आनन्द आयेगा। अनेक रसिक संतों ने ब्रज की होली का अति सुन्दर वर्णन किया है- ब्रज की गलियों का रंगों से सराबोर हो जाना, रंगो-गुलाल की कीच मच जाना, श्रीकृष्ण की चतुराई से श्रीराधा एवं गोपियों को रंग लगाने का तथा सखियों द्वारा श्रीकृष्ण को पकड़कर छोरी वेश बनाने का अति ही सुन्दर वर्णन किया है।
वृन्दावन-बरसाने में होली का शुभारम्भ ही-
हो हो होरी है...
नन्दगाँव का छोरा है..
बरसाने की छोरी है...
हो हो होरी है...
एसी जयघोष लगाकर किया जाता है।
नटखट श्रीकृष्ण को सखियों द्वारा नारी वेश बनाने पर एक रसिक संत लिखते हैं-
यह छोरा है सखी या छोरी है...
यह छोरा है...
बरसाने की लट्ठमार होरी
आज वृन्दावन-बरसाने में उसी होरी की स्मृति में एसी होरी खेली जाती है जो विश्व प्रसिद्ध है। जी हाँ- इस होरी को कहते हैं-बरसाने की लट्ठमार होरी।होरी के दिन वृन्दावन के गोप अपनी रंग-गुलाल की पोटली संभाले जाते हैं श्री राधा रानी के बरसाने गाँव की ओर, बरसाने की गोपियों को रंगने। किन्तु उनका एक और लक्ष्य होता है। वह यह कि श्रीराधारानी मंदिर में अपनी ध्वजा फहराना। और ये गोपियाँ उन्हें लट्ठमार कर इससे रोकती हैं।
वृन्दावन-बरसाने के गोप-गोपियों में एक होड़ लगी रहती है कोई किसी से हार नहीं मानता।
आनन्द तो तब आता है जब बरसाने की गोपीयाँ, इन गोपों को लट्ठ से मार कर आगे बढने से रोकती हैं। ये गोप रंग डारते हुए बाकायदा ढाल से अपना बचाव करते हुए गोपियों को रंगते हुए आगे बढने का प्रयास करते रहते हैं। यदि ये गोप पकड़े जाते हैं तो सारी गोपियाँ मिलकर इनकी अच्छी धुनाई करती हैं।
अति ही अद्भुत वातावरण होता है चारों ओर उल्लास,रंग- गुलाल और होरी के रसिया गाते हुए ये गोप-गोपियाँ रंग और लट्ठ की बौछार।
सभी की इच्छा होती है कि जीवन में एक बार हम भी इस लट्ठ मार होरी का आनन्द अवश्य उठायेँ।
बरसाना की यह होरी विश्व प्रसिद्ध है, अब तो यह भारत आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गई है।
Enjoy BArsana ki Holi, click the below link-
Holi of Braj
is considered one of the
holiest forms of Holi. It started from the Dwapar era when Shri Krishna used to
play Holi with his pomp in the streets of Braj, Shri Radha and his friends with
great pomp.
You will be very happy to hear the
description of this Holi. Many Rasik saints have described the Holi of Braj
very beautifully - the streets of Braj get drenched with colours, Rango-gulal is
blown up, Sri Krishna's cleverness to paint Shriradha and Gopis and by holding
Sikhs, they leave Sri Krishna Very beautiful description of dressing. Inauguration
of Holi in Vrindavan-Barsana.
Ho ho hori hai…
Nandgaon ka chhora hai...
Barsane ki chhori hai..
Ho ho hori hai…
A saintly saint writes on Nakhatk
Srikrishna dressed by women as women -
Yah chhora hai sakhi ya chhori hai...
yah chhora hai...
Who is she? is he a boy or a girl? don't know
Lathmar Hori of Barsana
Today Hori is played in Vrindavan-Barsane in memory Shri Radha-Krishna, is
world-famous. Yes - this Hori is called - Lathmar Hori of Barsana.
On the day of Hori, the Gopas of
Vrindavan are carrying their bundles of colour and colour towards the Barsane
village of Shri Radha Rani, to colour the Gopis of Barsane. But they have
another goal. That is to hoist their flag in the SriRadharani temple. And these
gopis keep them away.
There is a competition among the Gop-and Gopis
of Vrindavan-Barsana, no one gives up.
Joy comes when Barsana Gopis beat these
Gopas with a stick and prevent them from moving forward. These Gopis keep
trying to move ahead by coloring Gopis while protecting themselves from the
shield.
There is a very amazing atmosphere,
these GOP-Gopis singing colors and rams, singing euphoria, color-gulal and hori
ki rasiya.
Everyone wishes that once in life, we
too must enjoy this sticky horn.
This Hori of Barsana is world-famous,
now it has become the centre of attraction of tourists visiting India.
Enjoy BArsana ki Holi, click the below link-
https://www.youtube.com/watch?v=nQuw14Lbrik
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Happy Holi...
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